Wednesday, 2 February 2022

Question, Examine, Test | Hindi Blog

याद है, जब स्कूलमें किसी पाठ के अंत में स्वाध्याय पूछा जाता था? तब हमें लगता था कि फिर से सवाल आ गए, टीचर को सारे जवाब दिखाने पड़ेंगे, रात को जाग जाग कर कापियां लिखते और टीचर मार्क देते।

खैर, वह भी एक दौर था... 😊

प्रश्न पूछना सबसे अच्छा उपाय है। हमारा मन जवाब ढूंढने में माहिर है। कैसे भी करके प्रश्न की तह तक जाकर जवाब ले आता है। हमें खुद को सवाल पूछने की आदत होनी चाहिए। खुद का ही इंटरव्यू खुद लेना चाहिए।

• क्या मैं इस जीवन को पाकर खुश हुं?
• क्या मैं सफल होने के लिए प्रयत्नशील हूं?
• क्या मैं किसी बाह्य कड़ी के बिना खुश हूं?
• मैं जिस भी उम्रमें हूं, मेरा शरीर समय के साथ चलने को स्वस्थ है?
• क्या मुझसे दिन में दो बार सूर्य नमस्कार होते हैं?
• क्या मेरे नाक के दोनो द्वार समान शक्ति से श्वास लेते हैं?

ऐसे कई सवाल आप खुद बना भी सकते हैं और लिख कर जवाब भी ढूंढ सकते हैं, लेकिन इससे पहले मन शांत कर लीजिए।

*इमोशनल, स्पिरिचुअल, फिजिकल हेल्थ*

In a world full of trends, be a classic.

प्रवाह से अलग होकर ही विशिष्ट बना जाता है। और जो विशिष्ट है, उसीका आकर्षण बना रहता है।

लाइफ को पूरी तरह सीरियस बनाने की बात नही है लेकिन, मज़े करने ही है तो थोड़ा सोच समझकर करो, जिंदगी एक बार मिलती है, यहा फिर कभी आना नही होगा। उसे जानवर की तरह मत जियो। अपने शरीर और मन को संभाल नहीं सकते उसका खयाल नहीं रख पाते तो उससे बुरी बात और क्या होगी?

अपनी ज़बान, दांत, पेट और आंतों को साफ रखना अपने घर की चमकदार सफाई करने बराबर है। हमारा खाना आजकल जैसा भी है, जीवन टिकाने के लिए ठीक नहीं है। तो फिर अपनी कमाई के इस तरह हिस्से करो जिससे शरीर को अच्छा खाना पीना मिल सके। हमें हीरे जवाहरात, कपड़े, घर, गाडियां सब अच्छी क्वालिटी का चाहिए और हम उन्हे ढूंढने के लिए कितने दूर तक चले जाते हैं। तो खाने पीने का अच्छा प्रबंध क्यों न कर सके?

कुछ उदाहरण देने को सूची बनाएं तो निम्नलिखित...
१. नारियल पानी, दूध *बनाम* शराब, सिगरेट, तंबाकू
२. जंक फूड *बनाम* ताज़े फल
३. दिन भर बैठे और सोते रहना *बनाम* आधा घंटा खेलकूद
४. मोबाइल/टीवी जो दिखाए वह देखते रहना *बनाम* किताबे पढ़ना या फिर ध्यान करना, और नई सोच बनाना
५. चुगली करना, लड़ाई, मारपीट *बनाम* औरों को बिना स्वार्थ के मदद करना ...

सामाजिक प्राणी होने के नाते, हम इंसानों का यह दायित्व है; कि हमारे आसपास के लोग भी हमारी तरह खुश रहे, और हम उन्हे बाकी सारे स्तरों के आरपार एक इंसान के तौर पर स्वीकार करें। और अपनी शक्तियों से, स्वभाव से लोगो को खुश रख सको तो तुम्हारा इंसान होना सार्थक हो गया।

*एक जनम में कई जन्म*

और फायदे की बात पता है कौनसी है? हम एक ही जिंदगी में कई सारी जिंदगियां जी लेते हैं, बचपन, जवानी, दोस्ती, पढ़ाई, नौकरी, शादी, बुढ़ापा... अगर आप इनमें से कुछ जी रहे हैं तो हिसाब लगाइएगा, कितने खुश हैं आप? कितने शिकवे गिले हैं पिछली जिंदगीयो से? अगर एक को जी भर के जी लिया है तो फिर अफसोस किस बात का? आगे बढ़ने का डर सबको लगता है, लेकिन आधे रास्ते में ही बैठ जाओगे तो कैसे चलेगा? आगे बहुत कुछ तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है।

अगर जवान हो, सशक्त हो, बलशाली हो, तो अपनी शक्तियों का लोगों की भलाई के लिए इस्तेमाल करो। कइयों को आपके कंधे की, आपकी सुझबुझ की जरूरत है। 

शादी के बाद की जिंदगी भी उतनी ही खूबसूरत होती है जितनी शादी से पहले की। अब तुम ही समझो, जन्म से लेके आज तक सिंगल रहे, बड़े हुए तो दोस्त बनाने का मन किया, दिल लगाया, साथ छूट गया, किसीने याद रखा तो कोई भूल गया... कितनी बार दिल दुखेगा? कितनी बार अच्छा बुरा फिल होगा आपको? इससे अच्छा तो यही है की मन स्थिर करके थोड़ा रुक कर, वक्त लेकर खुद के बारे में थोड़ा सोच लें।

अब यहां फिर से प्रश्न उठेगा, की जरूरत ही क्या है जीवन में शादी की? प्रजनन तो प्राणी मात्रमें समान गुण है। तो हम इंसानों में नया क्या है? वह है, प्रेम। यह शब्द हमें जिंदगी जीने की ताकत देता है, समझो एक मोटिवेशन की तरह काम करता है। मानव व्यवहारके सभी मूल स्वार्थ मे से एक स्वार्थ है प्रेम प्राप्त करना। और हम इसके लिए किसी भी हद को पार करने में झिझकते नही है। हमारा सामाजिक आर्थिक जीवन भी प्रेम की नीव पर ही खड़ा है। शरीर बूढ़ा होने पर सिर्फ छड़ी नहीं मांगता, वह मांगता है स्वीकृति, सम्मान और प्रेम।

सुख के क्षण कौन बांटना नही चाहता? अगर तन और मन सुखी, शांत और स्वस्थ हैं, तो हमारे सुख का बंटवारा भी हम हंसते हुए कर सकते हैं।

*पार्ट ऑफ़ लाइफ*

यह तथ्य हमें स्वीकार करना चाहिए की हर कोई एक जैसे स्वभाव का नही हो सकता। फिर चाहे हमारे द्वारा इस दुनिया में आए संतान ही क्यों न हो। आगे कही गई सारी जिंदगियों में कुछ बातें कोमन है, जैसे कि परेशानी, तकलीफें, दुःख, मनमुटाव, चुनौतियां इन सबको जहां जरूरत पड़े निकालते हुए, हल करते हुए रास्ता बनाते जाना है। जीवन को आगे बढ़ाते जाना है।

हमारे वर्तमान में जो भी घटित हो रहा है, उनमें से हमे अनुभव और सीख के अलावा कुछ साथ नही रखना चाहिए। जैसेकी मैने अभी हिंदी लिखने का अच्छा मुहावरा कर लिया !!! 😃

- रोहित व्यास
फरवरी, २, २०२२
००:५०

No comments:

Post a Comment